कर देगी सब कुछ पहले जैसा
सुनते हैं आयी है ऐसी दवा कोई
कुछ इत्र सा फैला है फिज़ाओं में
छूकर आयी है तुझको हवा कोई
ले लेने दो हमको सुकूँ पल दो पल
मत छेड़ फिर से तू शिकवा कोई
क्या है रोज़-ओ-शब नयी बेताबी सी
हुआ अरमाँ मेरा शायद जवां कोई
है भला कहाँ का इन्साफ अमित
करे गलती कोई हो रुसवा कोई
In response to: Reena’s Exploration Challenge # 169