आप कितने भी खफा हों
आप को मनाते हैं
यह गुनाह करते हैं ।१।
हम ने की थी एक खता
पर खफ़ा रहने की
आप इन्तिहाँ करते हैं ।२।
हाथ में तलवार नहीं
फिर भी हमसे लड़ते हैं
क्या गज़ब लिल्लाह करते हैं ।३।
कैसा है यह इंतज़ार
किसकी तलाश में हम
रातें स्याह करते हैं ।४।
क्या उन्हें भी है खबर
या फिर यूँ ही खुद को
हम तबाह करते हैं ।५।
बहुत हुआ बच्चों सा गुस्सा
तुम को भूल जाने की तौबा
हर सुबह करते हैं ।६।
Mesmerising poem
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Thanks !!!
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Superlike
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Thanks !!!
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😊
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Lovely!
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Thanks !!!
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Haaye ❤
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☺☺☺
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☺️👍👏👌
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Thanks !!!
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