क्या बतलायें तुमको कैसी
बीती पिछली हिज्र की रात।
चाँद तारे करते थे बातें
थी वो तेरे जिक्र की रात।
याद आती थी तेरी जुल्फें
भीनी भीनी इत्र की रात।
मेरे तकिये पे बेबाकी
बातें करते चित्र की रात।
भूल गयी हो क्या तुम मुझको
मेरे लिए थी फ़िक्र की रात।
कोई झूठा वादा दे कर
अमित अपने मित्र की रात।
Beautifully written.
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Thanks Megha !!!
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My pleasure.
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Waah maza aa gaya. Different!
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Thanks Rishu !!!
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Welcome!
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This one turned out to be a ghazal, quite by accident. So, added a maqta at the end. Note: Amit means endless
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