हर एक सितम याद आता है तेरा
पर तुझसे कोई शिकायत तो नहीं
इश्क़ करो तो इश्क़ मिलेगा
अब ऐसी कोई रिवायत तो नहीं
तेरा न मिल पाना मुझको
फरिश्तों की सियासत तो नहीं
फिर से हँसके मिलना मुझसे
झूठी कोई इनायत तो नहीं
ले और ज़ख्म सीने पे अमित
उसमें कोई रियायत तो नहीं
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