अच्छा होता खुदको न खोया होता तुझमें
कुछ तो मुझसा शायद बाकी रहता मुझमें ।१।
दिल है तो फिर यह धड़कता क्यों नहीं है
क्यों यह नासूर सा रिसता रहता मुझमें ।२।
कब के जल के राख़ हो चुके हैं सपनें
क्या यह लावा सा बहता रहता मुझमें ।३।
मुद्दत हुई कि लब पर आयी नहीं हँसी
कौन यह शैतान सा हँसता रहता मुझमें ।४।
मुझसे कोई मुझको मिलवा दो अमित
न जाने कौन काफ़िर है अब रहता मुझमें ।५।
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