मिलती ही नहीं
हाथों की लकीरें
हमारी तुम्हारी।१।
हो तुम रूबरू
पर कैसे कहें
हमारी लाचारी।२।
जब से देखा है
उतरती ही नहीं
तुम्हारी खुमारी।३।
जाते जाते जाएगी
है बहुत पुरानी
हमारी बीमारी।४।
भूल गया ज़माना
नहीं होती हैं बातें
हमारी तुम्हारी।५।
Unclogging my mind…
मिलती ही नहीं
हाथों की लकीरें
हमारी तुम्हारी।१।
हो तुम रूबरू
पर कैसे कहें
हमारी लाचारी।२।
जब से देखा है
उतरती ही नहीं
तुम्हारी खुमारी।३।
जाते जाते जाएगी
है बहुत पुरानी
हमारी बीमारी।४।
भूल गया ज़माना
नहीं होती हैं बातें
हमारी तुम्हारी।५।
Well penned
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Thanks Muntazir !!!
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