मतलब निकल जाने पर मुँह मोड़ लेना तेरा
कोई समझे बेहयाई, हम ख़ासियत ही कहेंगे
उलझा कर मुझको खुद सुलझा रहे हैं ज़ुल्फ़ें
कुछ और नहीं इसको, मासूमियत ही कहेंगे
जब भी चाहा तुमने, मेरे इस दिल से खेला
हमने जो तुमको बख़्शी है, सहूलियत ही कहेंगे
सब कुछ जिसपर वार दिया,उसने हमपे वार किया
किसने किसको क्या दिया, हैसियत ही कहेंगे
यूँ जतलाते हैं अमित जैसे कुछ हुआ ही नहीं
इसे आग में न जलने की, क़ाबलियत ही कहेंगे
वाह!
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Thanks !!!
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