सुनते थे भर देता है वक़्त हर इक जख़्म
उम्र गुज़रे है मेरी, वक़्त गुज़रता नहीं ।१।
दर्द इतना कि पिघला दे हर पत्थर
एक तेरे ही दिल में उतरता नहीं ।२।
हसरत ही रही सँवारुं जुल्फ तेरी
मुकद्दर ही है मेरा जो संवरता नहीं ।३।
दे के इलज़ाम मुझे, आए हैं मनाने
कह दिया मैंने भी – जा सुधरता नहीं ।४।
कर दिए हैं दफ़्न सब ख्वाब अमित
तेरा नाम अब लब पर उभरता नहीं ।५।
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