न वो आएं, न नींद आए
रात गुज़र जाती है यूँ भी
देती है हर इलज़ाम मुझे
हक़ जतलाती है यूँ भी
करे सवाल आँखों आँखों में
मुझसे बतियाती है यूँ भी
“हम आपके हैं ही कौन “
कह बातें मनवाती है यूँ भी
बिखराती है ज़ुल्फ़ चेहरे पे
कभी चाँद छिपाती है यूँ भी
Unclogging my mind…
न वो आएं, न नींद आए
रात गुज़र जाती है यूँ भी
देती है हर इलज़ाम मुझे
हक़ जतलाती है यूँ भी
करे सवाल आँखों आँखों में
मुझसे बतियाती है यूँ भी
“हम आपके हैं ही कौन “
कह बातें मनवाती है यूँ भी
बिखराती है ज़ुल्फ़ चेहरे पे
कभी चाँद छिपाती है यूँ भी
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