much ado about everything
I face constantly
ever since
she said
I
do
Sapiosexual
your sharp wit makes a
clean cut to the heart of your
ardent admirer
In response to: Reena’s Exploration Challenge # 75
सपनों के टुकड़े
टूटे सपनों के कुछ टुकड़े
हैं आँखों में चुभते अब भी ।१।
किस्मत से तो लड़ भी लेता
रूठा है मुझसे रब भी ।२।
कितने दिन का हिज़्र है यारों
गिनने बैठूं गर शब् भी ।३।
याद मेरी भी आती होगी
खुद से लड़ती हो जब भी ।४।
ले अपने सर इल्ज़ाम अमित
क्या भूला है तू अदब भी ।५।
In response to: Reena’s Exploration Challenge #Week 53
अक्स तेरा
एक नज़र का असर है बाकी
थोड़ी शोखी कुछ बेबाकी
अक्स तेरा क्यों ठहर गया है
वक़्त गुज़र गया हालाँकि
मेरी पलकों में अब भी है
पहली मुलाकात की झांकी
तकता हूँ मैं खाली प्याला
संगदिल निकला मेरा साकी
क्यों है जुदा दुनिया से अमित
क्यों न सीखी कुछ चालाकी
In response to: Reena’s Exploration Challenge #Week 53
Icy morn
a
cold
icy
morn is all
that remains of what
started as hot steamy evening
Fighting for a forever
don’t you remember
fighting for a forever
once upon a time
खोया है जबसे तुझे
खोया है जबसे तुझे
कोई शह अब मुझको भाती नहीं
तकता हूँ शीशा मगर
कोई सूरत मुझको नज़र आती नहीं
आह निकले मेरी तो क्या
कोई भी तेरे दिल तक जाती नहीं
थी मेरी हमराज़ कभी
अब तो ग़म भी अपने बतलाती नहीं
है बाकी उम्मीद अमित
वरना अपना रंज यूँ जतलाती नहीं
कब्र के पास
इश्क़ का मैंने ज़हर पिया था
दवा नहीं थी किसी के पास।
हिज्र में बीती सारी रातें
समय नहीं था तेरे पास।
तेरी यादें भी दफना दी
मैंने अपनी कब्र के पास।
In response to: Reena’s Exploration Challenge #Week 43
हिज्र की रात
तुम क्या जानो कैसे बीती
काली वाली हिज्र की रात।
रह रह कर याद आती थी
तुम्हारी कही हुई हर बात।
बहुत गुमान था खुद पर मुझको
तुमने दिखला दी औकात।
मरहम मुझको कौन लगाता
आग लगाती थी बरसात।
दिल को मैंने खूब मनाया
पर ढाक के वही तीन पात।
क्या तुमने की थी दिल्लगी
यहाँ लगे हुए थे जज़्बात।
राहू की यह महा दशा है
या साल शनि के साढ़े सात ?
यूँ ही कटेगी उम्र मेरी अब
या फिर सुधरेंगे हालात ?