है मर्ज़ वही पुराना दवा क्या है
नए साल में आखिर नया क्या है
रखता है परहेज़ वो अब भी मिलने से
शायद नहीं जानता वो दया क्या है
क्या पढ़ेगा वो जो हमने लिखा नहीं
जो पूछता है हमसे बयां क्या है
सूख चुके हों जिन आँखों के आँसूं
वो झुकें भी तो उनकी हया क्या है
करके दिल्लगी हमसे पूछते हो अमित
इस खेल में तुम्हारा गया क्या है
In response to: Reena’s Exploration Challenge # 167