पल भर में न कर हिसाब ऐ दोस्त
एक उम्र लगी है तुझे मनाने में ।१।
तू ही चैन का पल दे सुबह मुझे
रात थक गयी है मुझे सुलाने में ।२।
कर लेने दे अपना दीदार ऐ साकी
आज मय नहीं है मेरे पैमाने में ।३।
डर लगता है ज़माने से मुझको
सर छिपाने दो मुझको मैख़ाने में ।४।
कर फिर कोई झूठा वादा अमित
कर लूँ यक़ीन तेरे अफ़साने में ।५।
In response to: Reena’s Exploration Challenge # 73